समय कभी रुक नहीं सकता वह मतवातर गतिशील रहता है , यदि वह रुक जाए , तो जीवन में ठहराव आ जाए। जीवन का क्रम नष्ट भ्रष्ट हो जाए! इसलिए समय कभी रुकता नहीं, रुक सकता नहीं। वह चाहता है प्रकृति की व्यवस्था को रखना सही।
आदमी का जीवन में रुक जाना असहनीय होता है, रुके रहना जैसा अहसास जीवन को बोझिल कर देता है, यह जीव के भीतर थकावट भर देता है। उसका सारा उत्साह और उमंग बिखर जाता है । आदमी समय में शीघ्र विलीन हो जाता है। यही वज़ह है कि समय कभी रुकता नहीं । वह कभी झुकता नहीं , बेशक वह जीवन में उतार चढ़ाव लाकर गर्व के उन्माद में डूबे आदमी को झुकने के लिए बाध्य कर दे ! आदमी का जीवन कष्ट साध्य कर दे !!
काश! समय ठहर पाए! आदमी को चुनौतियों के लिए तैयार कर आगे की राह सुगम बना पाए। समय बेशक ठहरता नहीं, इसे जितना जीया जाए , उतना कम है। इसे सलीके से जीना ही समय को जानने जैसा अति उत्तम है ! समय का ठहराव महज एक दिशा भ्रम है !! ०४/०२/२०२५.