जन्म और मरण इन्सान के हाथ में नहीं। जैसे जन्मना और मरना किसी के वश में नहीं। बीमार -लाचार हताश-निराश आदमी कभी कभी मरना चाहता है पर यह कतई आसान नहीं। असमय मरने को तुला व्यक्ति यदि मर भी जाता है तो वह करता है किसी पर कोई अहसान नहीं। बल्कि वह दुनिया में कायर कहलाता है, और उसे भुला दिया जाता है।
आदमी अपने को सक्रिय रखें ताकि वह सहजता से जीवन पथ पर आगे बढ़े, अपने अंतर्मन को दृढ़ करते हुए , अपनी क्षुद्रताओं से लड़ने का हौसला मन में भरे , वह जीवन में संयम से काम लेते हुए सुख समृद्धि और सम्पन्नता का वरण कर सके। सक्रियता जीवन है और निष्क्रियता मरण। कर्मठता से आदमी बन सकता है असाधारण। मरना और जीना,संघर्ष करते हुए टिके रहना, आसान नहीं। जीवन को सार्थक दिशा में आगे बढ़ाना ही है सही। २७/०१/२०२५.