समय समर्थ है यह सदैव गतिशील रहता है जीवन में यात्रा करने के दौरान रुके रहने का अहसास हद से ज्यादा अखरता है यह न केवल प्रगति के न होने का दंश दे जाता है बल्कि नारकीय जीवन जीने की प्रतीति भी कराता है। जीवन में रुके रहने का अहसास असाधारण उपलब्धियों की प्राप्ति तक को आम बना देता है। यह आदमी को भीतर तक हिला देता है , उसे कहीं गहरे तक थका देता है।
रुके रहने से बेहतर है कि आदमी स्वयं को गतिशील रखें ताकि वह असमय न थके, जीवन में आगे बढ़ कर अपनी मंजिल को वरता रहे। २६/०१/२०२५.