कल की तरह आज का दिन भी बीत गया , बहुत कुछ भीतर भरा था पर वह भी लापरवाही के छेद की वज़ह से रीत गया। अब पूर्णतः खाली हूँ , सो अपनी बात रख रहा हूँ।
कल मैं घर पर ही रहा , बाहर चलने वाली ठंडी हवाओं से डरता रहा। सारा दिन अख़बार, टेलीविजन,मोबाइल , बिस्तर या फिर चाय के आसरे बीत गया। फिर भी मैं रीता ही रहा। देश, समाज, परिवार पर बोझ बना रहा।
आज दफ़्तर में कुछ ज़रूरी काम था, सो घर से समय पर निकला और ... दफ़्तर छोड़ आगे निकल गया जहां एक मित्र से मिलना हुआ उसने हृदय विदारक ख़बर सुनाई। मेरे गाँव का एक पुलिसकर्मी नशे में डूबे बड़े घर के बिगड़ैल बच्चों की लापरवाही का शिकार हो गया। वह नाके पर डयूटी दे रहा था। उसने कार में सवार लड़कों को रुकने का इशारा किया ही था कि वे लड़के उसे रौंदते हुए कार भगा कर ले गए। पता नहीं वे क्यों डर गए ? घबराहट में वे अनर्थ कर गए। फलत: वह बुरी तरह से घायल हुआ। पहले उसे रूपनगर के राजकीय हस्पताल ले जाया गया । उसके बाद उन्हें चंडीगढ़ स्थित पीजीआई में दाखिल करवाया गया। जहां ऑपरेशन होने के बावजूद उन्हें बचाया न जा सका।
आज उनका अंतिम संस्कार है। यह सब कुछ जानकर मैं उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुआ। बड़ा हृदय विदारक माहौल था। एक संभ्रांत परिवार का कमाऊ सदस्य अराजक तत्वों की भेंट चढ़ गया । परिवार पर अचानक दुःख का पहाड़ टूट पड़ा।
शाम सात बजे घर पहुंचा तो मैं थोड़ा उदास और निराश था। जिस सहृदय आदमी की विनम्रता को सब कल तक सराहते थे , वह आज अचानक मानवीय क्रूरता का बन गया था शिकार। वह जन रक्षक था पर अराजकता के कारण खुद को बचा नहीं पाया। वह दुर्घटना ग्रस्त होकर जीवन में संघर्ष करते करते चिर निद्रा में सो गया। एक संवेदनशील व्यक्ति काल के भंवर में खो गया।
मोबाइल पर उनके दाह संस्कार की बाबत एक वीडियो डाली गई थी, जिसमें अंतिम अरदास से लेकर पुलिस कर्मियों के सैल्यूट करने, सलामी देने की प्रक्रिया दर्शाई गई थी।
पुलिस के जवान जब तब चौबीसों घंटे कभी भी कहीं भी अपनी डयूटी ढंग से निभाते हैं तब भी वे असुरक्षित क्यों होते जाते हैं ? असमय वे हिंसा का शिकार बन जाते हैं। इस संबंध में सभी को सोचना होगा।
इस समय मैं कल और आज के दिन के बारे में विचार कर रहा हूँ , आदमी अपने को हर पल व्यस्त रखे तो ही अच्छा , वरना सुस्ती में दिन कुछ खो जाने का अहसास कराता है। आदमी के जीवन का एक और दिन काल की भेंट चढ़ जाता है। आदमी के हाथ पल्ले कुछ नहीं पड़ता है। उसका जीवन पछतावे में बीतने लगता है। आदमी कर्मठता की राह चले तो दिन भी अच्छे भले लगें। वह कल ,आज और कल का भरपूर आनंद ले। ताकि जीवन में सुख समृद्धि का अहसास तन और मन को प्रफुल्लित करता रहे। २३/०१/२०२५.