मन में कोई बात कहने से रह जाए तो होती है कहीं गहरे तक परेशानी। कौन करता है एक आध को छोड़कर मनमानी ? असल में है यह नादानी। इस दुनिया जहान में बहुत से हिम्मती सच का पक्ष सबके समक्ष रखने की खातिर दे दिया करते हैं अपना बलिदान। अभी अभी सुनी है हृदय विदारक एक ख़बर कि सच के पुरोधाओं को पड़ोसी देश में किया जा रहा है प्रताड़ित।
यह सुन कर मैं सुन्न रह गया। अभिव्यक्ति की आज़ादी का पक्षधर आज चुप क्यों रह गया ? शायद ज़िन्दगी सबको प्यारी है। पर यह भी है एक कड़वा सच कि बिना अभिव्यक्ति की आज़ादी के सर्वस्व बन जाया करता भिखारी है। यह सब चहुं ओर फैली अराजकता क्या व्यक्ति और क्या देश दुनिया सब पर पड़ जाया करती भारी है। अभिव्यक्ति की आज़ादी पर बंदिशें लगाना आजकल बनती जा रही देश दुनिया भर में व्याप्त एक असाध्य बीमारी है। १५/०१/२०२५.