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Jan 15
आजकल संगम तट पर
बेहिसाब आस्था से महिमा मंडित
देश दुनिया से आए
श्रद्धालुओं ने डेरा डाला हुआ है ,
सब इस मंगल अवसर का
उठाना चाहते हैं लाभ
ताकि आत्मा को जागृत किया जा सके ,
अपने भीतर की मैल को
तन और मन से धोया जा सके।
निर्मल हृदय के साथ विश्व कल्याण
और सरबत का भला किया जा सके।
कभी देवताओं और दानवों ने
समुद्र मंथन किया था
परस्पर सहयोग करते हुए
और अमृत कलश पाया था।
वही अमृत तुल्य
आनंद रस सुलभ होने का
अनुपम अवसर आया है
सभी के लिए
प्रयागराज की पावन भूमि पर।


आप बेशक वहां सशरीर
उपस्थित नहीं हो सकते ,
पर यह तो संभव है कि
आप अपने घर पर
स्नान ध्यान करते हुए
इस पावन पर्व का
हृदय से स्मरण कीजिए ,
स्वयं को संतुलित रखने की
अपने अपने इष्टदेव से मंगल कामना कीजिए।
ऐसा करने भर से
आप को संगम स्नान का फल हो
जाता है प्राप्त।
सूक्ष्म रूप से
समस्त ब्रह्माण्ड
परस्पर एक परम चेतना से
जुड़ा हुआ है ,
इसलिए आप किसी भी
देश दुनिया के कोने में रहें ,
किसी भी मज़हब और संप्रदाय से संबंध रखते हों ,
सूक्ष्म रूप से
कहीं भी,
कभी भी,
किसी भी समय
कुंभ स्नान कर सकते हैं,
अपने को सुख समृद्धि और सम्पन्नता से
जोड़ सकते हैं,
आस्थावान बन सकते हैं।
स्वयं को परम चेतना का साक्षात्कार करवाने में
सफल हो सकते हैं।
नैर्मल्य प्राप्त कर सकते हैं।
15/01/2025.
Written by
Joginder Singh
41
 
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