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जीवन बेइंतहा दौड़ धूप से
कहीं एक तमाशा न लगने लग जाए ,
इससे पहले ही अपने हृदय के भीतर
आशा के फूल खिलाओ।
ये सुगंधित पुष्प सहज रहने से
जीवन वाटिका में लेते हैं आकार
अतः स्वयं को व्यर्थ की भाग दौड़ से बचाओ।
निज जीवन धारा में निखार लाकर
अपने को मानसिक तौर से भी
स्वच्छ और उज्ज्वल बनाने में सक्षम बनाओ।
इसलिए श्रम साध्य जीवन शैली
और सार्थक सोच को
अपने व्यक्त्तिव के भीतर विकसित करो।
जीवन के उतार चढ़ावों से न डरते फिरो।
अपने आप को सुख समृद्धि
और संपन्नता से भरपूर करो।
जीवन निराशा और हताशा की गर्त में न डूब जाए ,
इसे ध्यान में रखकर अपने जीवन को सार्थक बनाओ।
अपने और दूसरों के जीवन में सहयोग से
जीवन में ऊर्जा, सद्भावना
और जिजीविषा की सुगंध फैलाओ।
सदैव मन में आशा के पुष्प खिलाओ।
१४/०१/२०२५.
Written by
Joginder Singh
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