कभी कभी हादसा हो जाता है जब इर्द गिर्द धुंध फैली हो, और हर कोई तीव्र गति से आगे बढ़ना चाहता हो, मंज़िल पर पहुंचना चाहता हो। आदमी ही न रहे तो क्या यात्रा का फायदा है ? अतः धुंध के दिनों में अतिरिक्त सावधानी रखिए। भले ही गंतव्य पर देरी से पहुंचना पड़े, सुरक्षित रहने को अपनी प्राथमिकता बनाइए। धुंध का पड़ना स्वाभाविक है, पर इस मौसम में तेज़ी करना नितांत अस्वाभाविक है। कभी कभी हादसे से बचने के लिए यात्रा टालना तक अच्छा होता है। फिर भी यदि कोई मज़बूरी है तो जितना हो सके , अपनी चाल धीमी कर लें। जीवन में धीमेपन को स्वीकार कर लें। अपने भीतर तनिक धैर्य को धारण कर लें और अपने दिमाग में अस्पष्टता की धुंध और कुहासे को हावी न होने दें , ताकि जीवन में जीवंतता बची रहे। जीवन में वजूद धुंध और कुहासे के बावजूद अपना अहसास कराता रहे। अनमोल जीवन अपनी सार्थकता को वर सके। १२/०१/२०२५.