Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
7d
जीवन अच्छा लगता है
यदि यह निरन्तर गतिशीलता का
आभास करवाता रहे।
और जैसे ही
यह जड़ता की प्रतीति करवाने लगे
यह निरर्थक और व्यर्थ बने।
जीवन गुलाब सा खिला रहे,
इसके लिए
आदमी निरंतर
संघर्ष और श्रम साध्य जीवन जीए
ताकि स्थिरता बनी रहे।
आदमी कभी भी
थाली का बैंगन सा न दिखे ,
वह इधर उधर लुढ़कता
किसे अच्छा लगता है ?
ऐसे आदमी से तो भगोड़ा भी
बेहतर लगता है।
सब स्थिरता के साथ जीना चाहते हैं,
वे भला कब खानाबदोश जिन्दगी को
बसर करना चाहते हैं ?
सभी स्थिर रहकर सुख ढूंढना चाहते हैं।
१०/०१/२०२५.
Written by
Joginder Singh
41
 
Please log in to view and add comments on poems