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Jan 9
एक अदद कफ़न का
इस्तेमाल
कुर्ते पाजामा
बनवाने में
कर लिया तो क्या बुरा किया।
अगर कोई गुनाह कर लिया तो कर लिया।
वे देखते हो जिंदा इंसानों के मुर्दा जिस्म ,
जो मतवातर काम करते हुए
एक मशीन बने हैं।
घुट घुट कर जी रहे हैं।

वह देखते हो
अपनी आंखों के सामने
गूंगा बना शख़्श
जो घुट घुट कर जिया,
तिल तिल कर मर रहा ,
अंदर अंदर सुलग रहा।

वह कैसा शान्त नज़र आता है,
वह कितना उग्र और व्यग्र है,
वह भीतर से भरा बैठा है।
उसके अंदर का लावा बाहर आने दो।
उसे अभिव्यक्ति का मार्ग खोजने दो।

आज वह पढ़ा लिखा
बेरोजगारी का ठप्पा लगवाए है,
आगे बढ़ने के सपने भीतर संजोए हुए है।

पिता पुरखों की चांडालगिरी के धंधे में
आने को है विवश ,
एक नए पाजामे की
मिल्कियत का उम्मीदवार
भीतर से कितना अशांत है !!
महसूसो इसे !
सीखो ,इस जीवन की
विद्रूपता और क्रूरता को
कहीं गहरे तक महसूसने से !!
हमारे इर्द-गिर्द कितना
अज्ञान का अंधेरा पसरा हुआ है।
अभी भी हमें आगे बढ़ने के मौके तलाशने हैं।
इसी दौड़ धूप में सब लगे हुए हैं।
०६/१२/१९९९.
Written by
Joginder Singh
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     Abbott J Hardison
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