अचानक मेरे मनोमस्तिष्क में कौंधा है एक ख्याल कि क्या होगा यदि यह जीवन पूर्णतः मृत्युहीन हो जाए ? मन ने तत्क्षण अविलम्ब उत्तर दिया इस जीवन में बुझ ही जाएगा आनंद का दिया। जीवजगत निर्जीवता से ज़िंदगी को ढ़ोता नज़र आएगा। जीना साक्षात नर्क में रहने जैसा लगेगा। सर्वस्व का आंतरिक विकास जड़ से रुक जाएगा। जीवन उत्तरोत्तर बोझिल होता जाएगा। जीना दुश्वार हो जाएगा। समस्त वैभव अस्त व्यस्त , तहस नहस बिखरा हुआ दिखाई देगा। जीवंतता का अहसास तक लुप्त होगा। जीवन में सर्वांग सुप्तावस्था की प्रतीति कराएगा। मृत्युशैयाविहीन जीवन भले ही मृत्युहीनता का अहसास कराए , यह जीवन को निर्थकता से भर जाएगा। जहां हर कोई त्रिशंकु होगा , अधर में लटका हुआ। ०८/०१/२०२५.