Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Jan 8
धर्म क्या है ?
यह जीवन में अच्छे और सच्चे
मूल्यों को धारण करना है ,
स्वयं को संतुलित रखना
और शुचिता के पथ पर अग्रसर करना है।
आप निरपेक्ष रहकर
जीवन में
भले ही आगे बढ़ने का
भ्रम पाल लें ,
भले ही मन को
समझा लें
कि आप सुरक्षित हैं ,
असलियत है कि
आप धर्मनिरपेक्षता के
आवरण में
पहले की निस्बत
अधिक असुरक्षित हैं।

आज
धर्म निरपेक्षता का
छद्म मुखौटा ओढ़े
लोग और दल
देश दुनिया और समाज को
दलदल में धकेल रहे हैं ,
अपनी रोजी रोटी ढूंढ रहे हैं।
यह मुखौटा ओढ़ने से
किसी भी मामले में ‌कम नहीं।
यह कतई सही नहीं है।
आप मुखौटा कब ओढ़ते हैं ?
आप मुखौटा क्यों ‌ओढ़ते हैं ?
अपनी ‌पहचान छुपाने के लिए !
किसी मकसद को हासिल करने के लिए !!
या कभी कभी विशुद्ध मनोरंजन करने के लिए !!!

मुखौटा ओढ़ कर
इधर उधर विचरण करना
खुद और सबसे
धोखा देना नहीं है क्या ?
यह सच से छिपना नहीं है क्या ?

धर्म निरपेक्षता एक छलावा है।
पंथ निरपेक्षता जीवन धारा को देना बढ़ावा है।
आदमी पंथ निरपेक्ष बने,
ताकि वह रोजमर्रा के जीवन में
निरंतर निर्विघ्न आगे बढ़ सके।
धर्म निरपेक्षता के सच को उजागर कर सके।
इतिहास के संदर्भ में धर्म निरपेक्षता को समझ सके।
०८/०१/२०२५.
Written by
Joginder Singh
33
 
Please log in to view and add comments on poems