आज भी अराजकता के इस दौर में आम जनमानस न्याय व्यवस्था पर पूर्णरूपेण करता है भरोसा।
बेशक प्रशासन तंत्र कितना ही भ्रष्ट हो जाए , आम आदमी न्याय व्यवस्था में व्यक्त करता है विश्वास , वह पंच परमेश्वर की न्याय संहिता वाली आस्था के साथ दूध का दूध , पानी का पानी होना अब भी देखना चाहता है और इसे हकीकत में भी देखता है , आज भी आम जन मानस के सम्मुख कभी कभी न्यायिक निर्णय बन जाते हैं नज़ीर और मिसाल ...न्याय व्यवस्था लेकर बढ़ने लगती है जागृति की मशाल। उसके भीतर हिम्मत और हौंसला पैदा करती है न्याय व्यवस्था, त्वरित और समुचित फैसले , जिससे कम होते हैं आम और खास के बीच बढ़ते फासले। न्यायाधीश न्याय करता है सोच समझ कर वह कभी भी एक पक्ष के हक़ में अपना फैसला नहीं सुनाता बल्कि वह संतुलित दृष्टिकोण के साथ अपना निर्णय सुनाता है , जिससे न्याय प्रक्रिया कभी बाधित न हो पाए। आदमी और समाज की चेतना सोई न रह जाए। जीवन धारा अपनी स्वाभाविक गति से आगे बढ़ पाए। ०५/०१/२०२५.