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Jan 4
सब कुछ
मेरे वश में रहे।
यह सब सोच
जीवन में भागता रहा,
बस भागता रहा
और हांफता हुआ
खुद का नुक़सान किया,
भीतर ही भीतर
वेदना झेलता रहा।

मैं भी बस एक मूर्ख निकला।
खुद से ही बस लड़ता रहा ,
मतवातर खुद की
महत्वाकांक्षाओं के बोझ से
दबता रहा , सच कहने से
हरदम बचने की कशमकश में रहकर
भीतर ही भीतर डरता रहा।
जीवन पर्यन्त कायर बना रहा।
लेकिन अब मैं सच कह कर रहूंगा।
अपना तनाव कम करके रहूंगा।
कब तक मैं दबाव सहूंगा ?
ऐसे ही चलता रहा, तो मैं
अपने को खोखला करूंगा।
बस! बहुत हुआ , अब और नहीं ?
मैं खुद को सही इस क्षण करूंगा।
तभी जीवन में आगे बढ़ सकूंगा।
04/01/2025.
Written by
Joginder Singh
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