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Jan 4
दोस्त ,
इस जहान में
नीति निवेशक बहुत हैं ,
जो नीति की बात करते हैं !
अनीति की राह चलते हैं !
कुरीति के ग्राफ को
बढ़ावा देकर
अपनी जेब भरते हैं।
ये दिनोदिन वजनदार
होते जाते हैं,
भारी भरकम
व्यक्तित्व के मालिक
पहली नज़र में दिखाई पड़ते हैं ।
नख से शिख तक
रौबीले दिखाई देते हैं।

ये नीति निवेशक
हज़ार खामियों के बावजूद
हमारे आदर्श बनते जाते हैं।
ये कभी कभी
संचार माध्यम की कृपा से
हमेशा हमारे घरों तक पहुँच कर
हमें सपने दिखलाकर
अपनी रोजी रोटी चलाते हैं।
हमें मूर्ख तक बनाते हैं।
यदा कदा अपनी धूर्तता और विद्रूपता से
जीवन को नर्क बना देते हैं।
हमारे विरोध करने पर अपने तर्क से
कभी कभी हमें चुप भी करा देते हैं।

जब कभी हम
उनकी असलियत को
समझते हैं ,
तब तक हो चुकी होती है देर
हम ढेर
होने की कगार पर
पहुंचने वाले होते हैं।

कभी कभी हम
उन पर
फब्तियां भी कस देते हैं
वे चुप रह कर
अपनी मुस्कुराहट नहीं छोड़ते।
हमारी व्यंग्योक्तियों को
वे नज़र अंदाज़ कर देते हैं।
हमें चुप कराने के निमित्त
वे कुछ निवाले
हमारी तरफ़ फ़ेंक दिया करते हैं
और हम उन्हें बटोर
विरोध भूल जाते हैं।
वे जब कभी हमारी ओर देख मुस्कुराते हैं,
हम उनकी इस मुस्कुराहट से तिलमिला उठते हैं।
वे हमें शर्मिंदगी का अहसास
बराबर करवा कर
हमें बौना ‌महसूस करने को आतुर रहते हैं
और कर देते हैं  हमें विवश एवं लाचार।
वे अपने लक्ष्य को सामने रखकर
जीवन में आगे बढ़ने का करते हैं प्रयास।
वे हमें अकेलेपन की सरहद पर छोड़
यकायक किनाराकशी करते हुए
नवीनतम नीति निवेश हेतु
चल देते हैं ‌अपनी डगर।
वे अपने व्यक्तित्व के अनुरूप
कभी कभी यकायक
हमारी जिंदगी को
मतवातर बनाते रहते हैं विद्रूप
हम उनके इरादों को समझ नहीं पाते।
ज़िंदगी भर नीति निवेशकों के मकड़जाल में फंसकर ,
दिन-रात कसमसाते हुए , रहते हैं पछताते,
पर उन पर
होता नहीं कोई असर।
04/01/2025.
Written by
Joginder Singh
41
 
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