Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Jan 1
हम विस्मृति के अवशेष से बंधे
कहां याद रख पाते हैं ?
उन बंधु बांधवों को
जो कभी हम से ,
इस हद तक थे जुड़े
कि हर संकट की घड़ी में
डट कर हो जाते थे खड़े ।
आज वे स्मृति पटल पर
जीवन की अविस्मरणीय उपस्थिति दर्शा कर
हमें यदा-कदा अपने भीतर व्याप्त
जीवन धारा की रह रह कर
अपने अस्तित्व का अहसास करवाते हैं।
उनकी बातों को याद करते हुए
अक्सर हम सोचते हैं कि
उनमें कुछ तो ख़ास रहा होगा
जो वे आज भी
हमारे भीतर जीवन का ओज बने हुए बसते हैं,
अपनी दैहिक अनुपस्थिति के बावजूद
वे हर पल हमारी प्रेरणा और प्रेरक ऊर्जा बनते हैं,
जिनकी अद्भुत छत्र छाया में
असंख्य लोग आगे ही आगे बढ़ते हैं।
ऐसी आकर्षण से भरपूर विभूतियों को
हम मन ही मन नमन करते हैं।
उनके प्रेरणा पुंज और ख़ास आभा मंडल के सम्मुख
हम सदैव उन जैसी कर्मठता को
जीवन में अपनाने
और उनकी सोच को आगे बढ़ाने की नीयत से
मंगल कामनाओं से सज्जित पुष्पांजलि
स्मृति शेष होने पर अर्पित करते हैं।
वे खास किस्म की मानसिक दृढ़ता से परिपूर्ण व्यक्ति थे जिन्होंने अपनी सोच से
आदमी की दशा और दिशा बदल दी,
तभी हम उन्हें रह रह कर याद करते हैं।
हम उन जैसा होने व बनने का प्रयास किया करते हैं ।
०१/०१/२०२५.
Written by
Joginder Singh
45
 
Please log in to view and add comments on poems