संवाद के अभाव में झेलना पड़ता है संताप। इस बाबत क्या कहेंगे आप ? आप मौन रहेंगे या खुल कर मन की बात कहेंगे या फिर तटस्थ बने रहेंगे।
संवादहीन रहकर तनाव को झेलते रहेंगे।
आप मुखर होकर सब के सामने रखें मन की बात। करना न पड़े किसी को मतवातर मनो मस्तिष्क को खोखला करता हुआ तनाव निर्मित दबाव , आत्मघात के लिए होना न पड़े किसी को बाध्य , बेशक संवाद रचना अहंकार जनित आडंबर के दौर में हो चुका है कष्ट साध्य।
मतभेद और मनभेद भुलाकर संवाद रचने का करते रहिए जीवनपर्यंत प्रयास ताकि उड़ा न पाए कोई कमअक्ल उपहास। और...हां... छोड़िए अब जीवन में करना व्यर्थ का वाद विवाद कायम किया जा सके सार्थकतापूर्ण संवाद ही नहीं, अंतर्संवाद भी बेहिचक , ख़ुशी ख़ुशी। ०१/०१/२०२५.