पिछले साल यही कोई पांच महीने हुए मुझे सेवानिवृत्ति दे दी गई । इस मौके पर मुझे भव्य विदाई पार्टी दी गई , मेरी सच्ची झूठी प्रशंसा भी की गई । मैं खुश था कि अब मैं अपने जीवन को मन मुताबिक जी सकूंगा , खुलकर अपनी बात रख सकूंगा ।
मैंने भी अपने चिरपरिचितों को खुशी खुशी पार्टियां दीं । फिर यकायक मुझे इससे विरक्ति हो गई , मेरे भीतर असंतुष्टि भरती गई ।
घर वापसी का अहसास कुछ समय अच्छा लगा। अब मैं वापिस अपनी अनुशासित दिनचर्या पाना चाहता हूँ।
समय भी नए साल की पूर्व संध्या पर सेवानिवृत्त कर दिया जाता है। उसकी विदायगी का दुनिया भर में आडंबर रचा जाता है, फिर आधी रात को नए साल को खुश आमद कहने के लिए जोशोखरोश से जश्न मनाया जाता है , फिर अगला नया साल आने तक नवागन्तुक साल को भी भुला दिया जाता है।
विगत वर्ष से मैंने पूर्ववत जीवन से सीख लेकर कविताएं पढ़ना और लिखना शुरू कर दिया है , उम्मीद है मैं इस माध्यम से समय से संवाद रचा लूंगा। विगत वर्षों को याद करते हुए उनसे भी वर्तमान और भविष्य के सम्बन्ध में कुछ राय मशवरा करूंगा ताकि मैं भी जीवन से विदायगी लेते हुए शब्दों के रूप में समय की वसीयत और विरासत को अपनी समझ के अनुसार कुछ अनूठे रूप में अपनी भावी पीढ़ी को सौंप समय धारा में विलीन हो सकूं...अनंत में , अनंत को खोज सकूं।