यह ठीक नहीं कि बदले माहौल में , हम पाला बदल कर कर दें आत्म समर्पण , यह तो कायरता है। अपना पक्ष जरूर साफ़ करें , पर खुद को दिग्भ्रमित न करें।
बिना वज़ह का विरोध ठीक नहीं, अच्छा रहेगा कि हम खुद में सुधार करें। अपनी दशा और दिशा को अपने स्वार्थों से ऊपर उठाकर निज की जीवन शैली को समय रहते परिवर्तित कर और प्रतिस्पर्धी बनकर स्वयं को परिष्कृत करें, जीवन में ज़्यादा देर न रुके रहकर जीवन पथ पर अपनी संवेदना को बढ़ाकर जीवन की चुनौतियों को स्वीकार करें। हम अहंकार और दुराग्रह से पोषित होकर जीवन की शुचिता का कभी तिरस्कार न करें । हम जीवन की शिक्षा को भीतर तक आत्मसात करें। ०१/०१/२०२५.