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Dec 2024
यह जीवन किसी को
कभी भीख में
नहीं मिला,
यही रही है
मेरे सम्मुख
बीते पलों की सीख।
अब जो
समय
गुजारना है,
उसमें अपने आप को
संभालना है,
बीते पलों से सीख लेकर
खुद को
अब निखारना है।
आने वाला कल बेशक अनिश्चित है
पर कभी तो अपने भीतर
पड़ेगा झांकना ,
यह करना पड़ेगा अब
हम सब को सुनिश्चित ,
ताकि तलाश सकें सब
भविष्य में सुरक्षित जीवन धारा के
आगमन की मंगलमयी
संभावना को,
तजकर भीतर सुप्तावस्था में पड़ीं
समस्त पूर्वाग्रह और दुराग्रह से ग्रस्त
दुर्भावनाओं को।

आओ हम सब अपनी मौलिकता को
बरकरार रखकर जोड़ें ,
जीवन को, आमूल चूल परिवर्तन की
अपरिहार्य हवाओं से ,
अतीतोन्मुखी जड़ों से ,
ताकि हम सब मिलकर इस जीवन में
अभिन्नता सिद्ध कर सकें
परम्परा और आधुनिकता के समावेश की।
अंतर्ध्वनियां सुन सकें,
अपने बाहर और भीतर व्यापे परिवेश की।
०१/०१/२०२५.
Written by
Joginder Singh
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