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Dec 2024
इस संसार में
आपको कुछ लोग
ऐसे मिलेंगे
जो कहेंगे कुछ ,
करेंगे कुछ और !
ऐसे ही लोग
जीवन को अपनी कथनी
और करनी में अंतर कर
बना देते हैं पूर्णतः तुच्छ।
उनकी बातों से लगेगा,
जीवन होना चाहिए
साफ़ सुथरा और स्वच्छ।
असल में स्वर्ग से भी अनुपम
यह जीव जगत और जीवन
बन गया है इस वज़ह से नर्क।
दोहरेपन और दोगलेपन ने ही
चहुं ओर सबका कर दिया है बेड़ा ग़र्क।
आज संबंध शिथिल पड़ गए हैं।
लगता है कि सब
इस स्थिति से थक गए हैं।
यह जीवन का वैचारिक मतभेद ही है,
जिसने जीवन में मनभेद
भीतर तक भर दिया है।
आदमी को बेबसी का दंश दिया है।
उसका दंभ कहीं गहरे तक
चूर चूर कर, चकनाचूर  कर दिया है।
इस सब ने मिलकर मनों में कड़वाहट भर दी है।
जीवन की राह में कांटों को  बिखेरकर
ज़िन्दगी जीना , दुश्वारियों से जूझने जैसी ,
दुष्कर और चुनौतीपूर्ण कर दी है।
ऐसी मनोदशा ने आदमी को
किंकर्तव्यविमूढ़ और अन्यमनस्क बना दिया है।
उसे दोहरी जिंदगी जीने और जिम्मेदारी ने विवश किया है।
जीवन विपर्यय ने आज आदमी की
आकांक्षाओं और स्वप्नों को तहस नहस व ध्वस्त किया है।
३१/१२/२०२४.
जूझने
Written by
Joginder Singh
38
 
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