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Dec 2024
किसी भी तरह से
किसी किताब पर
लगना नहीं चाहिए
कोई भी प्रतिबंध।
यह सीधे सीधे
व्यक्तिगत आज़ादी पर रोक लगाना है।
बल्कि किताब तो समय के काले दौर को
आईना दिखाना भर है।
यह जरूरी नहीं कि हर कोई
प्रतिबंधित किताब को पढ़ेगा।
कोई जिज्ञासा के वशीभूत होकर इसे पढ़ेगा।
जिज्ञासू कभी नियंत्रण से बाहर नहीं जाएगा।
हां, वह कितना ही अच्छा या फिर बुरा हो,
वह देश ,समाज और दुनिया भर के खिलाफ़
अपनी टिप्पणी का इन्दराज करने से बचना चाहेगा।
कोई किसी के बहकावे और उकसावे में आकर
क्यों अपनी ज़िन्दगी को उलझाएगा ?
अपने शांत और तनाव मुक्त जीवन में आग लगाना चाहेगा।
प्रतिबंधित किताब को पढ़ने की आज़ादी सब को दो।
आदमी के विवेक और अस्मिता पर कभी तो भरोसा करो।
आदमी कभी भी इतना बेवकूफ नहीं रहा कि वह अपना घर-बार छोड़कर आत्मघाती कदम उठा ले।
यदि कोई ऐसा दुस्साहस करे
तो उसे कोई क्या समझा ले ?
ऐसे आदमी को यमराज अपनी शरण में बुला ले।
३१/१२/२०२४.
Written by
Joginder Singh
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