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Dec 2024
यह ठीक है कि
फूल आकर्षक हैं और
डालियों पर
खिले हुए ही
सुंदर , मनमोहक
लगते हैं।
जब इन्हें
शाखा प्रशाखा से
अलग करने का
किया जाता है प्रयास
तब ये जाते मुर्झा व कुम्हला।
ये धीरे-धीरे जाते मर
और धूल धूसरित अवस्था में
बिखरकर
इनकी सुगन्ध होती खत्म।
इनका डाल से टूटना
दे देता संवेदना को रिसता हुआ ज़ख्म।
कौन रखेगा इन के ज़ख्मों पर मरहम ?

बंधुवर, इन्हें तुम छेड़ो ही मत।
इन्हें दूर रहकर ही निहारो।
इनसे प्रसन्नता और सुगंधित क्षण लेकर
अपने जीवन को भीतर तक संवारो।
अपनी सुप्त संवेदना को अब उभारो।

ऐसा होने पर
तुम्हारा चेहरा खिल उठेगा
और आकर्षण अनायास बढ़ जाएगा।
जीवन का उद्यान
बिखरने और उजड़ने से बच जाएगा।
यह जीवन तुम्हें पल प्रति पल
चमत्कृत कर पाएगा।

यह सच है कि
फूल सुंदरता के पर्याय हैं।
ये पर्यावरण को संभालने और संवारने का
देते रहते हैं मतवातर संदेश।
मगर तुम्हारे चाहने तक ही
वरना हर कोई इन्हें
तोड़ना चाहता है,
जीवन को झकझोरना चाहता है ,
अतः अब से तुम सब
फूलों को डालियों पर खिलने दो !
उन्हें अपने वजूद की सुगन्ध बिखेरने दो !!
इतने भी स्वार्थी न बनो कि
कुदरत हम सब से नाराज़ हो जाए ।
हमारे आसपास प्रलय का तांडव होता नज़र आए ।

११/०१/२००८.
Written by
Joginder Singh
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