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Dec 2024
उन्हें शिकवा शिक़ायत है कि आजकल
राजनीति गन्दगी भरपूर होती जा रही है।
मुझे उनका यह मलाल सही लगता है मगर
जेहन में कौंधता है एक ख्याल
जो उठाता रहा है भीतर मेरे बवाल और सवाल।

राजनीति किस कालखंड में शुचिता से जुड़ी रही?
क्या यह आजतक छल बल कपट प्रपंच की बांदी नहीं रही?
राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी  
भेड़ की खाल ओढ़े भेड़िए रहे हैं,
जो जीवन के सच को आम आदमी की निस्बत
अच्छे से समझते हैं
और वे सलीके से
देश दुनिया को शतरंज की बिसात बनाकर
अपना अद्भुत खेल खेलते हैं,
शह और मात से
निर्लिप्त रहकर अपनी मौजूदगी का अहसास
निरंतर करवाते हैं ,
देश दुनिया को अपना रसूख और असर
दिखाते रहते हैं।
आज आदमी की अस्मिता
राजनीति की दिशा और दशा से
बहुत करीब से जुड़ी हुई है।
हमारे भविष्य की उज्ज्वल संभावना
राजनीतिक परिदृश्य से बंधी हुई है।
यही नहीं
तृतीय विश्व युद्ध तक का आगमन
और विकास के समानांतर विनाश का होना
जैसे वांछित अवांछित घटनाक्रम
राजनीतिक हलचलों से जुड़े हुए हैं ,
जिससे राजा और रंक सब बंधे हुए हैं ,
भले ही वे भला करने के लिए कसमसाते रहते हैं।
राजनीति और राज्यनीति को जोड़े बग़ैर
देश दुनिया में सकारात्मक सोच का लाना असंभव है।
यह जीवन में राजनीतिक हस्तक्षेप करने का दौर है,
भले ही यह सब किसी को अच्छा न लगे।
यहां राजनीति के मैदान में कोई नहीं होते अपने और सगे।
२९/१२/२०२४.
Written by
Joginder Singh
47
 
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