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Dec 2024
बस हमने अब तक
जीवन में विवाद ही किया है ,
ढंग से अपना जीवन कहां जिया है ?
यह अच्छा है और वह बुरा है !
छोटी-छोटी बातों पर ही ध्यान देकर
खूब हल्ला गुल्ला करते हुए
जीवन में व्यर्थ ही शोरगुल किया है।
समय आ गया है कि हम परस्पर सहयोग करते हुए
अपनी समझ को सतत् बढ़ाएं ।
जीवन धारा में निरुद्देश्य न बहे जाएं ,
बल्कि समय रहते अपने समस्त विवाद सुलझाएं।
आओ आज हम सब मिलकर जीवन से संवाद रचाएं।

अब तक बेशक हम अपने अपने दायरे में सिमटे हुए ,
एक बंधनों से बंधा , पूर्वाग्रहों और दुराग्रहों से जकड़ा , जीवन जीने को ही मान रहे थे , जीवन यापन का तरीका।
इस जड़ता ने हम सबको कहीं का नहीं है छोड़ा।

अर्से से हम भटक रहे हैं, उठा-पटक करते हुए ,
करते रहे हैं सामाजिक ताने-बाने को नष्ट-भ्रष्ट अब तक।

आओ हम सब स्वयं पर अंकुश लगाएं।
समस्त विवादों को छोड़, परस्पर  संवाद रचाएं।
जीवन धारा में  कर्मठता का समावेश करते हुए ‌,
स्वयं को सार्थक जीवन की गरिमा का अहसास कराएं।
२७/१२/२०२४.
Written by
Joginder Singh
37
   Vanita vats
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