बस हमने अब तक जीवन में विवाद ही किया है , ढंग से अपना जीवन कहां जिया है ? यह अच्छा है और वह बुरा है ! छोटी-छोटी बातों पर ही ध्यान देकर खूब हल्ला गुल्ला करते हुए जीवन में व्यर्थ ही शोरगुल किया है। समय आ गया है कि हम परस्पर सहयोग करते हुए अपनी समझ को सतत् बढ़ाएं । जीवन धारा में निरुद्देश्य न बहे जाएं , बल्कि समय रहते अपने समस्त विवाद सुलझाएं। आओ आज हम सब मिलकर जीवन से संवाद रचाएं।
अब तक बेशक हम अपने अपने दायरे में सिमटे हुए , एक बंधनों से बंधा , पूर्वाग्रहों और दुराग्रहों से जकड़ा , जीवन जीने को ही मान रहे थे , जीवन यापन का तरीका। इस जड़ता ने हम सबको कहीं का नहीं है छोड़ा।
अर्से से हम भटक रहे हैं, उठा-पटक करते हुए , करते रहे हैं सामाजिक ताने-बाने को नष्ट-भ्रष्ट अब तक।
आओ हम सब स्वयं पर अंकुश लगाएं। समस्त विवादों को छोड़, परस्पर संवाद रचाएं। जीवन धारा में कर्मठता का समावेश करते हुए , स्वयं को सार्थक जीवन की गरिमा का अहसास कराएं। २७/१२/२०२४.