मुफलिसी के दौर में ज़िंदगी को हंसते हंसते हुए जीना हरदम मुस्कुराते रहना छोटी छोटी बातों पर खिलखिलाते हुए मन को बहलाना चौड़ा कर देता है सीना । ऐसे संघर्षों में सकारात्मकता के साथ जीवन को सार्थक दिशा में आगे ही आगे बढ़ाना जिजीविषा को दिखाता है।
आदमी का उधड़ी पतलून को सीकर पहनना, फटी कमीज़ में समय को काट लेना , मांग मांगकर अपना पेट भर लेना, मजदूरी मिले तो चंद दिनों के लिए खुशी खुशी दिहाड़ियों को करना, लैंप पोस्ट की रोशनी में इधर-उधर से रद्दी हो चुके अख़बार के पन्नों को जिज्ञासा से पढ़ना , उसके भीतर व्यापी जिजीविषा को दर्शाता है।
फिर क्यों अख़बार में कभी कभी आदमी के आत्मघात करने, हत्या, लूटपाट, चोरी, बलात्कारी बनने जैसी नकारात्मक खबरें पढ़ने को मिलती हैं ?
आओ , आज हम अपने भीतर झांक कर स्वयं और आसपास के हालात का करें विश्लेषण ताकि जीवन में नकारात्मकता को रोका जा सके, जीवन धारा को स्वाभाविक परिणति तक पहुंचाया जा सके, उसे सकारात्मक सोच से जोड़कर आगे बढ़ने को आतुर मानवीय जिजीविषा से सज्जित किया जा सके। यह जीवन प्राकृतिक रूप से गतिमान रह सकें , इसे अराजकता के दंश से बचाया जा सके। २६/१२/२०२४.