कुछ ग़लत होने पर हर कोई और सब कुछ शक एवं संदेह के घेरे में आता है। यहां तक कि जीवन में बेशुमार रुकावटें उत्पन्न होना शुरू हो जाती हैं। इससे न केवल मन का करार खत्म होता है और जीवन टूटने के कगार पर पहुंच जाता है बल्कि धीरे-धीरे जीने की उमंग तरंग भी जीवन में मोहभंग व तनाव से निस्सृत बीज के तले दबने और बिखरने लगती है। आदमी की दिनचर्या में दरारें साफ़ साफ़ दिख पड़ती हैं। उसे अपना जीवन फीका और नीरस लगने लगता है।
यदि जीवन में कुछ ग़लत घटित हो ही जाए , तो आदमी को चाहिए तत्काल वह अपने को जागृत करें और अपनी ग़लती को ले समय रहते सुधार। वरना सतत् पछतावे का अहसास मन के भीतर बढ़ा देता है अत्याधिक भार । आदमी परेशान होकर इधर-उधर भटकता नज़र आता है। उसे कभी भी सुख समृद्धि , संपन्नता और चैन नही मिल पाता है। २५/१२/२०२४.