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Dec 2024
कभी सोचा है आपने ?
यह कि शब्द
सहमत में
सहम भी छिपा है
जिसकी आड़ लेकर
लोगों ने
कभी न कभी  
परस्पर
एक दूसरे को छला है।
छल की छलनी और छलावे से
प्यार और विश्वास
बहुधा जीवन छल बल का हुआ शिकार।
कई बार
आज के खुदगर्ज इन्सान
सहम कर ही
हैं  सहमत होते।
वरना वे भरोसा तोड़ने में  
कभी देरी न करते।
Written by
Joginder Singh
30
 
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