अगड़ों पिछड़ों वंचितों शोषितों के बीच मतभेद और मनभेद बढ़ाकर कुछ लोग और नेता कर रहे हैं राजनीति बेशक इसकी खातिर उन्हें अराजकता फैलानी पड़े , देशभर में अशांति, हिंसा, मनमुटाव, नफ़रत, दंगें फ़साद, नक्सलवादी सोच अपनानी पड़े। इस ओर राजनीति नहीं जानी चाहिए। कभी तो स्वार्थ की राजनीति पर रोक लगनी चाहिए। राजनीति राज्यनीति से जुड़नी चाहिए। इसमें सकारात्मकता दिखनी चाहिए। सभ्यता और संस्कृति से तटस्थ रहकर देश समाज और दुनिया में राजनीतिक माहौल बनाया जाना चाहिए। टूची राजनीतिक सोच को राज्य के संचालन हेतु राजनीतिक परिदृश्य से अलगाया जाना चाहिए। आम जनजीवन और जनता को राजनीति प्रताड़ित न करे, इस बाबत बदलाव की हवा राजनीति में आनी चाहिए। समय आ गया है कि स्वार्थ से ऊपर उठकर राजनीति राज्यनीति से जुड़ी रहकर आगे बढ़नी चाहिए। २४/१२/२०२४.