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Dec 2024
आज
आदमी ने
अपने भीतर
गुस्सा
इस हद तक
भर लिया है कि
वह बात बेबात पर
असहिष्णु बनकर
मरने और मारने पर
हो जाता है उतारू ,
उसकी यह मनोदशा
आदमी को भटका रही है।
निरंतर उसे बीमार बना ‌रही है।
Written by
Joginder Singh
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   Aniruddha and dead poet
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