जीवन में कुछ भी बेकार नहीं होता , यहां तक कि कवायद या कोई शिकवा शिक़ायत भी नहीं , आखिर हम इस सब के पीछे की कहानी को समझें तो सही ।
कभी किसी की शिकायत करें तो सही , कैसे नहीं अक्ल ठिकाने लगा दी जाती? ज़िंदगी की पेचीदगियों की समझ, समझ में समा जाती ! यह शिकायत, शिकायत के निपटारे की कवायद ही है , जो जीवन में आदमी को निरंतर समझदार बना रही है, सोये हुए को जगा रही है।
जीवन में हर पल की क्रिया प्रतिक्रिया के फलस्वरूप होने वाली कवायदें जीवन में सार्थकता का संस्पर्श करा रही हैं। ये जीवन धारा में बदलाव की वज़ह बनती जा रही हैं। १९/१२/२०२४.