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Dec 2024
नाभि दर्शना साड़ी पहने
कोई स्त्री देखकर ,
पुरुष का सभ्य होने का पाखंड
कभी कभी खंडित हो जाता है ।
उसकी लोलुपता
उसकी चेतना पर पड़ जाती है भारी।
यह एक वहम भर है या हवस भरी सामाजिक बीमारी ?
इसका फैसला उसे खुद करना है।
उसे कभी तो भटकन के बाद शुचिता को वरना है।
१६/१२/२०२४.
Written by
Joginder Singh
43
 
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