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7d
कहां गया ?
वह फिल्मों का
जाना माना खलनायक
जो दिलकश अंदाज में करता था पेश
अपने मनोभावों को  
यह कह,
बहुत हुआ , अब  ,चुप भी करो,
' मोना डार्लिंग ' चलें दार्जिलिंग!
काश! वह मेरे स्वप्न में आ जाए,
अपनी मोना डार्लिंग के संग
मोना को मोनाको की सैर कराता हुआ
नज़र आ जाए !
वह अचानक
अच्छाई की झलक दिखला
मुझे हतप्रभ कर जाए !

ऐसा एक अटपटा ख्याल
मन में आ गया था
अचानक,
ऐसे में
जीवन में
किसी का भी ,
न नायक और न खलनायक,
न नायिका और न खलनायिका, ...न होना
करा गया मुझे न होने की भयावहता का अहसास।
यह जीवन बीत गया।
अब जीवन की 'रील लाइफ'का भी
"द ऐंड" आया समझो!
ऐसा खुद को समझाया था,
तब ही मैं कुछ खिल पाया था।
जीवन का अर्थ
और आसपास का बोध हो गया था ,
मुझ को
अचानक ही
जब एक खलनायक को
ख्यालों में बुलाने की हिमाकत की थी मैंने।
यह जीवन
एक अद्भुत फिल्मी पटकथा ही तो है,
शेष सब
एक हसीन झरोखा ही तो है।
११/१२/२०२४.
Written by
Joginder Singh
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