समय की बोली बोलकर यदि समझे कोई , कर्तव्यों से इतिश्री हुई तो जान ले वह अच्छी तरह से कर गया है वह ग़लती , भले ही अन्तस को झकझोरता सा भीतर उत्पन्न हो जाए कोई तल्ख़ अहसास बहुत देर बाद अचानक नींद में। आदमी को यह बना दे अनिद्रा का शिकार।
समय की बोली बोलकर , सच्चा -झूठा बोलकर , यदा-कदा जीवन के तराजू पर कम तोलकर , समय को धक्का लगाने की खुशफहमी पाली जा सकती है , मन के भीतर गलतफहमी को छुपाया जा सकता है कुछ देर तक ही। जिस सच को हम अपने जीवन में छुपाने का करते हैं प्रयास, पर , वह सच अनायास सब कुछ कर जाता है प्रकट , जिसे छुपाने की कोशिशें हमने निरंतर जारी रखीं। ऐसे में आदमी रह जाता हतप्रभ। परन्तु समय रहते स्वयं को संतुलित रखते हुए शर्मिंदगी से किया जा सकता है इस सब से अपना बचाव ।
समय की बोली बोल रहे हैं अवसरवादी बड़ी देर से कथनी और करनी में अंतर करने वाले लगने लगते हैं एक समय कूड़े कर्कट के ढेर से ।
जीवन की गतिविधियों पर गिद्ध नज़र रखने वालों से सविनय अनुरोध है कि वे समय की बोली बोलें ज़रूर मगर , कुछ कहने से पहले अपना बयान दें बहुत सोच समझकर कहीं हो न जाए गड़बड़ ! मन में पैदा हो जाए बड़बड़ !! अचानक से ठोकर लग जाए! आदमी घर और घाट का रास्ता भूल जाए !! जीवन की भूल भुलैया में , जिंदगी के किसी अंधे मोड़ पर , जीवन में संचित आत्मीयता कहीं अचानक ! एकदम अप्रत्याशित !! आदमी को जीवन में अकेला छोड़ कर कहीं दूर यात्रा पर निकल जाए ! आदमी अकेलेपन और अजनबियत का हो जाए शिकार। वह स्वयं की बाबत करने लगे महसूस कि वह जीवन में बनकर रह गया है एक 'जोकर' भर ।