Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Dec 2024
यहाँ
झूठ के सौदागर
क़दम क़दम पर
मिलते हैं !

सच कभी
आसानी से बिकता नहीं ,
सो सब इसे
अपने पास रखने से
डरते हैं !!

सच पास रहेगा
तो कभी काम आएगा
क्या कमी रह गई जीवन में है ?
इसका अहसास कराएगा !
यह किसी विरले को भाएगा !!

यह नितांत सच है
कि यहाँ सच के पैरवीकार भी
मिलते हैं !
जो अपनी जान देने से
कभी पीछे नहीं
हटते हैं !!

झूठ के सौदागर की भी
कभी हार हो ;
इसकी खातिर
क्या तुम तैयार हो ?

तुम सच
अपने पास रखे रहो ।
तुम झूठ बोलने से करो परहेज़
ताकि यह जिन्दगी
बने  न कभी
झूठ , लड़ाई झगड़े की मानिंद
सनसनी खेज़।

दुनिया के बाज़ार में
बेशक झूठ धड़ल्ले से बिकता है!
पर यह भी तो सच है कि
यहाँ सच भी  अनमोल बना रहता है।
वह भला बिक सकता है ?

सच कभी खुद को
बेचने को उद्यत नहीं होता ।
यह कभी छल नहीं करता !
यह आदमी को
कल ,आज और कल के लिए
संयम अपनाने ,
सदैव तैयार रहने ,की खातिर
उद्यम दिन रात करता है।
तभी सच झूठी दुनिया में अपनी मौजूदगी का
अहसास करा पाता है।
वरना सच और सच्चे को
हर कोई हड़पना चाहता है।
२१/१२/२०१७.
Written by
Joginder Singh
47
 
Please log in to view and add comments on poems