अच्छे का निधन सबको कर देता है निर्धन ! सोच के स्तर पर मृत्यु लगा जाती एक नश्तर । यही नहीं, वह मानव के कान के पास अपनी अनुभूति का आभास करा कर चुपचाप फुसफुसाते हुए कराती है अपनी प्रतीति कि- " बांध ले भइया! अपना बोरिया बिस्तर , आत्मा करना चाहती है , अब धारण नए वस्त्र!" मौत जीवन की सहचरी है , जिसने जीवन में करुणा भरी है। यह वह क्षण है , जब आत्मा अपने उद्गम की ओर लौट जाती है। यह हमें हतप्रभ कर जाती है ।