अगर तुम्हें इंसाफ़ चाहिए तो लड़ने का , अन्याय से बेझिझक जा भिड़ने का कलेजा चाहिए । मुझे नहीं लगता कि यह तुम में है । फिर तुम किस मुंह से इंसाफ़ मांगती हो ? अपने भीतर क्यों नहीं झांकते हो ? क्यों किसी इंसाफ़ पसंद फ़रिश्ते की राह ताकते हो ? तुम सच की राह साफ़ करो। जिससे सभी को इंसाफ़ मयस्सर हो। दोस्त , इस हक़ीक़त के रू-ब-रू हो तो सही। सोचो , तुम किसी फ़रिश्ते से यक़ीनन कम नहीं।