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Joginder Singh
Poems
Dec 9
सुनो तानाशाह
अब और नहीं
यह दुनिया
मजहबों , धर्मों के बलबूते
बांटो ।
पागलपन को रोको !
भले ही
पागलपन को ,
पागलपन से काटो ।
अब और नहीं
खुद को
मुखौटों में
बांटो।
अब और नहीं
कोई साज़िश
रचो।
कम अज कम
अपनी खुशियों को
वरो।
अब और अधिक
अत्याचार ,
अनाचार
करने से
डरो।
ओ ' तानाशाह!
तुम्हारे पागलपन ने
आज
दुनिया कर दी
तबाह।
१७/०१/२०१७.
Written by
Joginder Singh
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