विश्वास का टूटना अप्रत्याशित ही आदमी का दुर्घटनाग्रस्त हो जाना है।
और आदमी यदि जीवन में विश्वसनीय बना रहे तो सफलता के पथ पर आगे बढ़ते जाना है।
हमारे कर्म होने चाहिएं ऐसे कि विश्वास कभी विष में न बदले वरना अराजकता का दंश हम सब को मृतक सदृश बनाएगा। यह सब के भीतर बेचैनी बढ़ाएगा । हमें ही क्या ! प्रकृति के समस्त जीवों को रुलाएगा !
दुनिया - जहान में सभी की विश्वसनीयता बनी रहे और हम सब अपनी अंतर्रात्मा की आवाज़ सुनते रहें , ऐसे सब कर्म करते रहें ताकि चारों ओर सुख समृद्धि और सम्पन्नता की बयार बहती रहे।
दोस्त ! अपना और उसका विश्वास बचा कर रख ताकि सभी को मयस्सर हो सके सुख , किसी विरले को ही झेलना पड़े दुःख - दर्द ।