न्याय प्रसाद और अन्याय प्रसाद के बीच जारी है द्वंद्व ।
न्याय प्रसाद सबका भला चाहता है , वह सत्य का बनना चाहता है पैरोकार , ताकि मिटे जीवन में से अत्याचार , अनाचार, दुराचार।
अन्याय प्रसाद सतत् बढ़ाना चाहता है जीवन के हरेक क्षेत्र में अपना रसूख और असर। वह साम ,दाम ,दंड , भेद के बलबूते अपना दबदबा रखना चाहता है क़ायम ।
इधर न्यायालय में न्याय प्रसाद अन्याय प्रसाद से पूरी ताकत से लड़ रहा है , उधर जीवन में अन्याय प्रसाद न्याय प्रसाद का विरोध डटकर कर रहा है। आम आदमी क्या खास आदमी तक इन दोनों की आपसी खींचतान के बीच पिस रहा है, घिस घिसकर मर रहा है। जैसे चलती चक्की में गेहूं के साथ घुन भी पिस रही हो । १२/०१/२०१७.