असहिष्णु को सहिष्णु बनाना हो सकता है चुनौतीपूर्ण दुस्साहस ! आप इस बाबत उड़ा सकते हैं उपहास ! सच यह है , दोस्त ! यह नामुमकिन नहीं , बशर्ते आप होना चाहें सही। आप परिवर्तन को स्वीकारें , न कि खुद को बाहुबली समझें और अंहकारे फिरें । मारामारी का दर्प पाल कर , मारे मारे फिरें । निज के विरोधाभासों से सदैव रहें घिरे । अपने आप से होकर मंत्र मुग्ध ! खोकर अपनी सुध-बुध ! कहीं बन न जाएं संदिग्ध!
तब आपकी पहचान संदेह के घेरे में आ जाएगी । ज़िंदगी नारकीय हो जाएगी। परिवर्तन अपरिहार्य है , हमें यही स्वीकार्य है।