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Dec 2024
सच
करता नहीं
आघात
कभी भी
किसी की अस्मिता पर।
वह तो प्रदाता है अद्भुत साहस का
कि जिससे मिले मतवातर
जीवन में उड़ान भरने का हौंसला।
सच तो अंतर्मन में
झांक झांक कर
करता रहता
सदैव सचेत
और आगाह...!
बने न रहो जीवन में
देर तक बेपरवाह
काल नदी का प्रवाह
तुम्हारी ओर
सरपट भागा चला आ रहा है,
वह सर्वस्व तक को
बहा ले जाने में सक्षम है
अतः खुद को श्रम में तल्लीन कर
अपने अस्तित्व को संभाल जाओ।

यही नहीं आगे
जीवन पथ पर
दुश्वारियों का समंदर
अथाह
कर रहा है
तुम्हारा इंतजार।

सुनो,संभल जाओ आज ,
नव जीवन का करना है आगाज़।

अपने भीतर की
थाह
पाने के लिए
करो
तुम सतत
चिंतन मनन,
सोच विचार।

ताकि
हो सकें तुम्हें
अपने स्वरूप के
दर्शन।

...और
कर सको तुम
इस जीवन को
शुचिता से सम्पन्न।

...और
निर्मित किया जा सके
एक ठोस जीवनाधार
करने जीवन का परिष्कार
जिससे अर्जित कर सको
जीवन में यश अपार।

०७/१२/२०२४.
Written by
Joginder Singh
52
 
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