यदि तुम अंतर्मुखी हो और अपने बारे में कुछ कहना नहीं चाहते तो इससे अच्छी बात क्या होगी ? 'दुनिया तुम्हें जानने के लिए उतावली है । ' इस संदर्भ में ऊपर लिखित पंक्ति कोरा झूठ ही होगी। इसे तुम अच्छी तरह से जानते हो; बल्कि इस सच को भली भांति पहचानते हो , मेरे अंतर्मुखी दोस्त !
यदि तुम बहिर्मुखी हो और अपने बारे में सब कुछ, सच और झूठ सहित, कहने को उतावले हो तो इससे बुरी बात क्या होगी? 'आदमी नंगेपन की सभी सीमाएं लांघ जाए ।' दुनिया इसे भीतर से कभी स्वीकारेगी नहीं ; भले ही ,वह तुम्हारे सामने खुलेपन का इज़हार करे, इसे तुम अच्छी तरह से जानते हो , बल्कि इसे भली भांति दृढ़ता से मानते हो , मेरे बहिर्मुखी दोस्त ! आज हम सब एक अनिश्चित समय में स्वयं की धारणाओं के मिथ्यात्व से रहे हैं जूझ, और निज के विचारों को समय की कसौटी पर कस कर आगे बढ़ने के वास्ते ढूंढते हैं नित्य नवीन रास्ते । हम करते रहते हैं अपनी पथ पर आगे बढ़ते हुए , निरंतर संशोधन ! अच्छा रहेगा/ हम सभी / स्वयं को / संतुलित करें ; अन्तर्मुखता और बहिर्मुखता के गुणों और अवगुणों को तटस्थता से समझें और गुने । अपनी खूबियों पर अटल रहते हुए, अपनी कमियों को धीरे-धीरे त्यागते हुए , पर्दे में अपने स्वाभिमान को रखकर , निज को हालातों के अनुरूप ढालकर , नूतन जीवन शैली और जीवनचर्या का वरण करें , न कि जीवन में क़दम क़दम पर भीड़ का हिस्सा बनाकर उसकी नकल करें। क्यों न हम सब अपनी मौलिकता से जुड़ें ! जीवन को सुख ,संपन्नता , सौंदर्य से जोड़कर आगे बढ़ें ।८/१०/२०१७.