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Dec 3
परम
एक अनूठा जादूगर है
वह जीवन में
अपने जादू से कण कण को जगा रहा !
क्षण क्षण
सबको आगे बढ़ा रहा !
वह जीवन का जादू
सब के अंतर्घट में जगा रहा है।
इस धरा पर
जन्म और मरण के रंग
बिखेर रहा है।

वह
जीवन का जादूगर
कहता है सबसे
अपने अपने जीवन में
तन मन से
स्वयं को एकाग्रचित कर
मेरे धूप छाईं रंग देखते रहो ।
जीवन  पथ पर अग्रसर बने रहो।

जीवन का अनूठा जादूगर
रखता है यह आस सबसे।
सब ऐसे काम करें
कि जीवन सम्मोहित करता सा लगे ,
इस जीवन में
कोई भी
डरता हुआ न लगे ,
सब जीवन संग्राम में बहादुरी से लड़ें,आगे बढ़े ।


जीवन का यह अनूठा जादूगर
अपने अनूठे अंदाज से
सृष्टि की दिव्य दृष्टि का
स्नेहिल गीत
समय के साथ गाता रहे !
जीव का जीवन सत्य से नाता जुड़ा रहे!!

कायनात का सृजन हार
इस धरा को
अपने जादू से
सभी को
अचंभित करता रहे ,
वह जीवन बगिया को
अपनी उपस्थिति से महकाता रहे ।
जीवन से अखंड प्यार करने का पाठ
अनूठा जादूगर सभी को सतत् पढ़ाता रहे।
वह अपने अनुकंपा से
स्नेह के सम्मोहक पुष्प सब पर बिखेरता रहे।

२८/१०/२००७.
Written by
Joginder Singh
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