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Dec 2024
एक कमज़ोर क्षण में बहकर
मैं जिंदगी से बेवफ़ाई कर बैठा!
सो अब पछता रहा हूं।
उस क्षण को वापस बुला रहा हूं,
जिस पल मैं सहजता से
अपनी ग़लती को कर लूं स्वीकार,
ताकि बना रहे जीवन में
अपनापन और अधिकार।

अब अपनी कमज़ोरी पर
विजय हासिल करना चाहता हूं,
रह रह कर भीतर से कराहता हूं
पर अंदर मेरे, मानवीय कमजोरियों की
एक सतत् श्रृंखला चलायमान रहकर
मुझे कर रही है लहूलुहान,
लगता है कि खुद से मतवातर बतियाना कर देगा ,
मेरी तमाम चिन्ताओं, परेशानियों का समाधान।
१३/०६/२०१८.
Written by
Joginder Singh
42
 
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