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Dec 1
हाल
न पूछो ,
हालात की
बाबत सोचो ।

धमकी दी नहीं ,
धमाका हुआ बस समझो ।
अब हालात हुए
वश से बाहर।
चुपचाप न रहो ,
हाथ पर हाथ रख कर
न बैठे रहो।
अब और अन्याय न सहो।
कुछ करो , कुछ तो करो ।
अब दंगाइयों पर
सख़्त कार्रवाई करो।

न करो चौकन्ना
घर में रह  रहे  
भीतरघात कर रहे  
आंतरिक शत्रुओं को
अब सबक सिखाना चाहिए।
उन पर अंकुश लगना चाहिए।

हर कार्रवाई के बाद
नेतृत्व को
मौन धारण करना चाहिए,
हालात सुधरने तक।

धमकी  न  दो ,
धमाके सुना दो ।
हो सके तो बग़ैर डरे ,
उन्हें गहरी नींद सुला दो ।
उन्हें मिट्टी में मिला दो ।
अब सही समय है कि
जीवन की खिड़की से
तमाम पर्दें हटा दिए जाएं ।
अपने तमाम मतभेद भूला दिए जाएं ।

अपने और गैरों के बीच से
सभी पर्दों को हटा दिया जाए ।
गफलतों और गलतफहमियों को
जड़ से ख़त्म कर दिया जाए ।
जीवन में पारदर्शिता लाई जाए ।
  २६/०२/२०१७.
Written by
Joginder Singh
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