जब से जंगल सिकुड़ रहे हैं , धड़ाधड़ पेड़ कट रहे हैं, अब शेर भी बचे खुचे दिन गिन रहे हैं ! वे उदासी की गर्त में खोते जा रहे हैं!!
हाय! टूट फूट गए ,शेरों के दिल । जंगल में शिकारी आए खड़े हैं । वे समाप्त प्रायः शेरों का करना चाहते शिकार। या फिर पिंजरे में कैद कर चिड़िया घर की शोभा बढ़ाना।
सच! जब भी जंगल में बढ़ती है हलचल, आते हैं लकड़हारे ,शिकारी और बहुत सारे दलबल। शेर उनकी हलचलों को ताकता है रह जाता । चाहता है वह ,उन पर हमला करना, पर चुप रह जाता है।
जंगल का राजा यह अच्छी तरह से जानता है, यदि जंगल सही सलामत रहा, वह जिंदा रहेगा। जैसे ही स्वार्थ का सर्प ,जंगल को कर लेगा हड़प। वैसे ही जंगल की बर्बादी हो जाएगी शुरू, एक-एक कर मरते जाएंगे तब ,जीव जगत और वनस्पति। आदमी सबसे अंत में तिल तिल करके मरेगा। ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण से आदमी घुट घुट कर मरेगा। आदमी सर्प बन ,जंगल ,जंगल के राजा शेर को ले मरेगा। क्या आदमी कभी अपने दुष्कृत्यों से कभी डरेगा ? अब कौन सूरमा शेर और जंगल को बचाने के लिए लड़ेगा? आज जंगल में रहने वाले जीव और उनका राजा खतरे में है। शेर का संकट दिनों दिन विकट होता जा रहा है। यह सोच , मन घबरा रहा है,दिमाग में अंधेरा भर गया है । शेर का अस्तित्व संकट में पड़ गया है, मेरा मन डर गया है।
जंगल का शेर ,आज सचमुच गया है डर। वह तो बस आजकल, ऊपर ऊपर से दहाड़ता है। पर भीतर उसका, अंदर ही अंदर कांपता है । यह सच कि वह खतरे में है, शेर को भारी भांति है विदित। यदि जंगल बचा रहेगा, तभी शेर रह पाएगा प्रमुदित। १३/०१/२०११.