मुझे अपने पास बुलाता रहता है हर पल कोई अजनबी। वह मुझे लुभाता है, पल प्रति पल देता है प्रलोभन।
वह मृत्यु को सम्मोहक बताता है, अपनी गीतों और कविताओं में मृत्यु के नाद की कथा कहता है और अपने भीतर उन्माद जगाकर करता रहता है भयभीत।
यह सच है कि मुझे नहीं है मृत्यु से प्रीत और कोई मुझे... हर पल मथता है , समय की चक्की में दलता है।
कहीं जीवन यात्रा यहीं कहीं जाए न ठहर इस डर से लड़ने को बाध्य कर कोई मुझे थकाया करता है।
दिन रात, सतत अविराम चिंतन मनन कर अंततः चिंता ग्रस्त कर कोई मुझे जीवन के पार ले जाना चाहता है। इसलिए वह वह रह रह कर मुझे बुलाता है ।
कभी-कभी वह कई दिनों के लिए मेरे ज़ेहन से ग़ायब हो जाता है। वे दिन मेरे लिए सुख-चैन ,आराम के होते हैं। पर शीघ्र ही वह वापसी कर लौट आया करता है। फिर से वह मुझे आतंकित करता है ।
जब तक वह या फिर मैं सचमुच नहीं होते बेघर । हमें जीवन मृत्यु के के बंधनों से मिल नहीं जाता छुटकारा। तब तक हम परस्पर घंटों लड़ते रहते हैं, एक दूसरे को नीचा दिखाने का हर संभव किया करते हैं प्रयास, जब तक कोई एक मान नहीं लेता हार। वह जब तब मुझे देह और नेह के बंधनों से छुटकारे का प्रलोभन देकर लुभाया करता है।
हाय !हाय! कोई मुझ में हर पल मृत्यु का अहसास जगा कर
और जीवन में मोहपाश से बांधकर उन्माद भरा करता है , ज़िंदगी के प्रति आकर्षण जगा कर , अपना वफादार बना कर , प्रीत का दीप जलाया करता है। कोई अजनबी अचानक से आकर मुझे जगाने के करता है मतवातर प्रयास ताकि वह और मैं लंबी सैर के लिए जा सकें । अपने को भीतर तक थका सकें। जीवन की उलझनों को अच्छे से सुलझा सकें। २२/०९/२००८.