लगता है आज आदमी आधा रह गया है, उसमें लड़ने का माद्दा नहीं बचा है। इसलिए जल्दी ही देता घुटने टेक। कई दफा बगैर लड़े मान लेता हार, उसकी बुजदिली पर कोई करेगा चोट तो मुमकिन है वह लड़ने के लिए करे स्वयं को तैयार थाम ले हथियार । करअपना परिष्कार !! तुम उसे उकसाओ तो सही। उसे उसकी ताकत का अहसास कराओ तो सही। उसे सही दिशा दिखाओ तो सही। उसे लड़ाकू होने की प्रतीति करवाओ तो सही। उसे, सही ढंग से समझाओ तो सही। उसकी समझ की बही में सही होने,रहने का गणित लिखवाओ तो सही। उस के भीतर मनुष्य होने का आधार बनाओ तो सही। आज बस उसके अहम् को खरा बनाओ तो सही। समन्दर किनारे घर न बनाने के लिए उसे समझाओ तो सही। उसकी खातिर ,उसे उसके सही होने की ख़बर सुनाओ तो सही। कुछ और नहीं कर सकते तो उसे सही राम बनाओ तो सही। उसे सही कुर्सी पर बैठाओ तो सही, ठसक उसके भीतर भर ही जाएगी जी। जिजीविषा उसके भीतर सही सही मिकदार में उत्पन्न हो ही जाएगी जी। वह बिल्कुल सही है जी। हम ही सहीराम को गलत समझे जी। उसको करने दो अपनी मनमर्जी जी। जी लेने दो उसे जी भर कर जी। ... क्यों कि वह पूरा आदमी नहीं, आधा अधूरा आदमी है जी। परम्परा और आधुनिकता का सताया आदमी है जी, जो बस रिरियाना और गिड़गिड़ाना जानता है जी। २९/११/२०२४.