Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Nov 2024
ये जोड़ी भी अजब गजब है
आजकल पिता जी कई बार डांट लगाते हैं
मोबाइल हाथ में देख घुड़की लगाते हैं
सुनना तो कम हो गया
दिखना भी कम हो जाएगा
ये नालायक समझ नहीं पाएगा।

कुछ देर बाद ही
खाने को पकड़ाते हैं
फिर दोनों चाय की चुस्कियों पर
दुनिया भर की राजनीति पर गरमाते हैं
किस देश में क्या हलचल है इनको सब खबर है।

कभी एक पल उलझते हैं
तो दूसरे पल सुलझते हैं
एक दूसरे के हमदर्द बनें रहते हैं।

इन सब में एक बात सुकून भरी है
दोनों डांट और नाराजगी के पीछे
छिपे सद्भाव को समझते हैं।
Written by
Vanita vats
40
   Aniruddha
Please log in to view and add comments on poems